and this is a way of expression... reflection of the world inside us... exploration of the world, we dwell in...
and words from our personal experiences, feelings, interests and learning.


Saturday, September 22, 2012

प्रलय का करके सृजन

         एक समय था जब मैं लिखना सीख रहा था- अपने अन्तस् को काग़ज़ पे उकेरना- कविताएँ, कथाएँ और बातें। नया उत्साह था, थोड़ा बहुत प्रकाशित भी हुआ। फिर कुछ हुआ कि लिखने का मोह मर गया। बरसों-बरस न कुछ लिखा, न कुछ छपा। लेकिन इंसान कब तक अपने आप को खुद से ही छिपाए रख सकता है... अपनी एक पुरानी रचना आप सब से साझा कर रहा हूँ...


         यह कविता 10 वर्ष पहले ईसवी 2002 में प्रकाशित हुई जब मैं 13-14 वर्ष का था। यह मेरा अब तक का आख़िरी प्रकाशन है। हाँलाकि लेखन एकदम कच्चे दर्ज़े  का है, लेकिन शुरुआत तो सबकी कच्ची ही होती है। उन दिनों मैं साम्यवादी विचारों से बहुत प्रभावित था। घर पर दर्शन का अध्ययन करता था, सो आत्मा और मन की शास्त्रीय धारणा की झलक भी दिखती है।

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